नाग पंचमी का त्यौहार

नागपंचमी का त्यौहार

आज 13 अगस्त 2021 है
आज हम नाग पंचमी मना रहे हैं






दोस्तों आज मैं नाक पंचमी का त्यौहार देवों के देव महादेव की पूजा आज होगी पूरे देश में पर ही धूमधाम के साथ इस प्यार को मनाया जाता है मेरा एक छोटा सा गांव है इस काम में भी स्टार खड़े धूमधाम से मनाया जाता है मेरे गांव का नाम है जेतपुरा आप लोग देख सकते हैं हमारे गांव का यह पुराना मन्दिर 
यह मंदिर बनाएंगे था आजादी से पहले मेरे गांव के लखपति श्री कैलाश गुप्ता जी ने बनवाया था 
पहले के लोग उस गांव का पानी नहीं पीते थे जिस काम में मंदिर नहीं होता था
मेरे गांव के खानी है कि जब यहां पर कोई दूसरी कहां से लोग आते थे तो इस गांव का पानी नहीं पीते थे क्योंकि कहते थे लोग तुम्हारे गांव मंदिर नहीं है अगर बोलो हमारे गांव का पानी गलती से पी लेते थे तूने 2000 लोगोंको खाना खिलाना पड़ता था ऐसा मानते थे लोग की इसका मदीना हो उस गांव का पानी पीने से पाप लगता है तब जाके मेरे गांव वाले मंदिर बनाने पर जोड़ दिए 
और श्री कैलाश गुप्ता जी ने मेरी गांव का यह मंदिर बनवाया
और उसके बाद से मेरे गांव में यज्ञ होने लगा और सभी त्यौहार को पढ़े धूमधाम से मनाया जाने लगा इसी मंदिर की वजह से अब मेरे गांव में शिवरात्रि को बहुत ही भव्य मेला लगता है और आसपास के अगल-बगल गांव के लोग मेला करने के लिए अब मेरे गांव में आते हैं इसी काम में जिस गांव का लोग पानी पीना भी पांव समझते थे सिर्फ इसलिए कि मेरे गांव में मंदिर नई था 


बात करके नागपंचमी की तो मेरे गांव में इश्तेहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं लोग रोज सुबह से आज कल सुबह बिल्कुल अलग होता है सुबह हम लोग उठते हैं जाते हैं सब सब अपने-अपने घर से ग्लास लेते निकलते हैं उनकी हर जाते हैं जिनके घर पर गौ माता होती हैं नागदेव की पूजा करने के लिए गौ माता का दूध लगता है 
और आज के दिन पूरे गांव में जिसकी घर पे भी गाय होती है वह अपना दूध बात देता है और उसके पैसे नहीं लेता
जिसकी घर पर भी गाय होती है उनके घर पर सुबह-सुबह बहुत भीड़ लग जाती है सब कुछ थोड़ा-थोड़ा दूध मिलता है ताकि बोलो दूध और अलावा चढ़ा सके और इस प्यार को अच्छे से मना सकते हैं सभी लोग सब की घर पर कि ग्लास रखवा देते हैं दूध मिलने के बाद से पूजा की तैयारी होती है


गाय का गोबर और काला सरसो और बालू यह सब एक बर्तन मेरा कर उस गोबर को परोरवाया जाता है
उसके बाद से घर की मायें पूरे घर को उस गोबर से घेर देती हैं ऐसा मानने जाता है कि जिस घर पर यह गोबर से घेरा गहरा सा है उस घर में कोई भी जानवर नहीं प्रवेश करता खासकर के सांप , बिच्छू इत्यादि

उसके बाद से जेवनार चढ़ाया जाता है जब तक जेवनार नहीं चढ़ जाता घर में किसी को भी खाना नहीं मिलता भले मुझे बहुत भूख लगी हो 
अभी भी लगी है और मैं लिख रहा हूं
बस एक यही नियम मुझे पसंद नहीं
यार भूख से जान निकलती है तो ऐसा होता है उसके बाद से हम खाना खाते हैं पूजा होने के बाद
फिर हम खेलने जाते हैं कबड्डी, और भी खेल
आज की दिन बच्चों के लिए पूरी आजादी रहती है
हम जब तक चाहे खेल सकते हैं 
मंदिर के सामने वाले तालाब में नहा सकते हैं और भी बहुत सी आजादी मिलती है


बस इस तरह से खत्म होता है हमारा या त्यौहार 
आप हमें कॉमेंट करके बताएं कि आप इस त्यौहार को कैसे बनाते हैं कुछ शब्दों में


पढ़ने के लिए धन्यवाद

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